June 25, 2008

पालटिक्स वाया बेडरूम

नेतागीरी भी ऐसा नशा है जो छुड़ाए न छूटे. हाल ही में कांग्रेस की एक नेताइन से शहरयार का भी पाला पड़ा. जो नेतागीरी चमकाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थीं. नेतागीरी के धंधे में उतरने से पहले वह बच्चों का चाल चरित्र सुधारने का काम करती थी. मतलब वो मास्टराइन थीं.
दिल्ली कैंट बोर्ड का हाल ही में चुनाव हुआ. चुनाव के पहले से वह टिकट के लिए तैयारी में जुट गईं. बड़े नेताओं ने भी उन्हें टिकट का वायदा कर दिया.(ऐसा नेताइन का दावा था).ऐन मौके पर जहां से नेताइन चुनाव लड़ना चाहती थी किसी और सुंदरी का टिकट पक्का हो गया. नेताइन को तो काटो तो खून नहीं. दिन रात पूरे इलाके में पसीना वह बहाती रहीं टिकट मिल गया किसी अनाम सी सुंदरी को. नेताइन ने बताया कि एक पूर्व पार्षद जो अपनी पत्नी को भी टिकट नहीं दिला पाए थे कैंट के चुनाव में अध्यछ जी के लटक बनकर खूब हेरफेर कराया. उन्होंने ही पहले महिला से दोस्ती गांठी फिर मेरा टिकट काटकर उस महिला को टिकट दिलवा दिया. लेकिन ऊपरवाले का करम तकनीकी कारणों से नव सुंदरी का परचा खारिज हो गया. बात में इन्हीं नेताइन को टिकट मिला किंतु वे चुनाव हार गईं. नेताइन के अनुसार उक्त पार्षद व उसकी चहेती महिला के कारण वह चुनाव हारी हैं. अब उन्हें बदला लेना है. जब शहरयार ने पूछा कि वह बदला कैसे लेंगी, तो नेताइन के कहा कि लोहे को लोहा काटता है. मैं भी अब त्रिया चरित्र का इस्तेमाल करुंगी. जब राजनीति में घुसने का रास्ता बेडरूम से होकर जाता है तो मैं भी बड़े नेताओं के बेडरुम में घुसने को तैयार हूं. अध्यछ जी सुन रहे हो इस महिला का किसी समर्थक से उद्धार कराओ.

June 23, 2008

तुगलकी चाल

दिल्ली में बाढ़ से निपटने को तैयारी पूरी, दिल्ली देहात के तालाबों को पक्का कराने पर करोड़ो खर्च, नलकूप से भरा जाएगा तालाबों में पानी.ऐसी खबरें पढ़कर लगता है कि सरकार वाकई में बड़ी मुस्तैद है. लेकिन गौर करने पर मामला कुछ और ही नजर आता है.जिस शहर में पीने को पानी न हो वहां बाढ़ व तालाब के नाम पर करोड़ो रुपए बहाना केवल तुगलक के राज्य में संभव था या कि इक्कीसवीं सदी में कांग्रेस के राज में.
जीं हां कांग्रेसी सरकार इन दिनों ऐसी समस्याओं से जूझ रही है जो कि है ही नहीं.अलबत्ता समस्याएं दिखाकर कुछ लोग अपना हित साधन जरुर कर रहे हैं. दिल्ली में बाढ़ की तैयारियों को खबर तो अभी ताजा है.दिल्ली की बरसात का हाल तो सभी को मालुम है. यहां होने वाली कुल बारिश से धान की फसल तक उगाना संभव नहीं है.सीवर व नालियों की वर्षों से सफाई नहीं होने के कारण सड़क पर जमा होने वाले पानी को छोड़ दें तो कहीं भी दिल्ली में बारिश से संकट नहीं है. यहां तो इतनी भी बारिश नहीं होती की ताल तलैया भी भर सके. हां सरकार है तो जनकल्याण वाले विभाग भी होंगे और बजट भी. ऐसे बाढ़ व सूखा राहत ऐसा कार्य है जिसमें नेता व अफसर अक्सर हरे भरे हो जाते हैं. सो दिल्ली में बाढ़ से निपटने की तैयारियां शुरु हो गई है शायद कुछ बजट भी जारी हो गया हो.अब जिस प्रदेश (जी हां दिल्ली इक शहर ही नहीं राज्य भी है)में बारिश से खेतों में पलेवा भी नहीं लगाया जा सकता हो वहां तालाबों में पानी कहां से आएगा.फिलहाल जनकल्याणकारी सरकार ने पिछले एक साल में दिल्ली में तालाबों की खुदाई व पुनुरुद्धार के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च कर चुकी है. तालाबों के चारो ओर संगमरर के पत्थर लगाकर उन्हें खूबसूरती प्रदान की गई. इस सब पर बीस लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक प्रति तालाब खर्च किया गया.एक तो बारिश का अभाव ऊपर से चारो ओर से तालाब को ऊंचा कर पक्का कर दिए जाने से तालाबों में बारिश का पानी जाने का कोई रास्ता भी नहीं दिया गया.तालाब बनने के बाद उद् घाटन के समय नेताओं ने भी पूरा श्रेय लिया. अब जब बारिश का मौसम आया तो योजना बनाने वाले अधिकारी बता रहे हैं कि तालाबों को भरने के लिए नलकूप लगाया जाएगा. अरे भइया जब जमीन में पानी ही नहीं है और उसे दुरुस्त करने के लिए ही तालाबों को रिचार्ज सोर्स बनाया जा रहा है तो जमीन का पानी निकाल कर तालाब में डालने का औचित्य क्या है.

June 19, 2008

पेट की आग



दिल्ली की एक झोपड़पट्टी में आग लगने पर सबकुछ स्वाह हो गया. दमकल की बौछारों के बीच पेट की आग बुझाने के लिए चूल्हे पर से खाने की डेगची उतारता बेचारा !

June 17, 2008

नेता जी की साली से विधायकजी ने दिल लगाया

कांग्रेस में चमचागीरी की पुरानी परंपरा है.चमचागीरी के चक्कर में कांग्रेस के एक राष्ट्रीय महासचिव ने दिल्ली के एक विधायक को अपना मानस पुत्र बना लिया. कांग्रेस आलाकमान के दाहिने हाथ माने जाने वाले भारीभरक कद वाले इस नेता के घर विधायक बराबर का आना जाना था. बड़े नेता अक्सर व्यस्त रहते थे इसलिए घर की कुछ जिम्मेदारियां यह विधायक स्वेच्छा से उठाने लगे. इस बहाने नेताजी के घर में उनकी अच्छी पैठ बन गई. यहां तक तो ठीक था किंतु आका की सेवा करते-करते विधायक जी का दिल घर की एक सुंदरी पर आ गया।
यह सुंदरी कोई और नहीं बड़े नेता जी की साली साहिबा हैं.इन्हें विधायक जी कई बार मानस पुत्र के नाते यहां वहां ले आते जाते रहे हैं. जब तक इश्क चलता रहा लोगों ने ज्यादा कान नहीं दिया किंतु पहले से शादीशुदा विधायक जी को महासचिव की साली इतनी पसंद आई कि वह उससे शादी करने का ख्वाब पालने लगे. विधायक जी जो कभी कांग्रेसी दिग्गज नेता को पिता तुल्य तथा उनकी पत्नी को मातृवत मानते थे वे अब मौसी तुल्य उन्ही नेता की साली को पत्नी बनाना चाहते थे. एक तो विधायक व युवती का अलग-अलग धरम ऊपर से बेटा बन घर में सेंध लगाने का यह रवैया नेताजी को पसंद नहीं आया, लिहाजा कभी इन्हीं नेता के नाम का रुआब गांठने वाले विधायक को घर में इंट्री बंद हो गई है. अब आगामी चुनाव के मद्देनजर विधायक के टिकट पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इन दिनों कांग्रेसियों में बेटा बन नेता की साली पर लाइन मारने वाले इन विधायक महोदय की चरचा आम है.