
हमें इंतजार था जिनका हजार शिद्दत से
न वो आए न पैगाम उनका
उन्हें हम मान बैठे हैं मोहब्बत का खुदा
जो इंसान बनकर भी, न मेरे काम आए
फिर भी यारों ये दिल है कि मानता नहीं
सुबह से शाम हो गई इंतजार में उनके
.....पर न वो आए न पैगाम उनका
करूंगा इंतजार कयामत तक उनके आने का
क्या पता उस रोज ही वो रहम खाएं
जहां जिस हाल में हो तुम सदा खुश रहना
हमें तो सदियों तक इंतजार का इरादा है