कांग्रेस में चमचागीरी की पुरानी परंपरा है.चमचागीरी के चक्कर में कांग्रेस के एक राष्ट्रीय महासचिव ने दिल्ली के एक विधायक को अपना मानस पुत्र बना लिया. कांग्रेस आलाकमान के दाहिने हाथ माने जाने वाले भारीभरक कद वाले इस नेता के घर विधायक बराबर का आना जाना था. बड़े नेता अक्सर व्यस्त रहते थे इसलिए घर की कुछ जिम्मेदारियां यह विधायक स्वेच्छा से उठाने लगे. इस बहाने नेताजी के घर में उनकी अच्छी पैठ बन गई. यहां तक तो ठीक था किंतु आका की सेवा करते-करते विधायक जी का दिल घर की एक सुंदरी पर आ गया।
यह सुंदरी कोई और नहीं बड़े नेता जी की साली साहिबा हैं.इन्हें विधायक जी कई बार मानस पुत्र के नाते यहां वहां ले आते जाते रहे हैं. जब तक इश्क चलता रहा लोगों ने ज्यादा कान नहीं दिया किंतु पहले से शादीशुदा विधायक जी को महासचिव की साली इतनी पसंद आई कि वह उससे शादी करने का ख्वाब पालने लगे. विधायक जी जो कभी कांग्रेसी दिग्गज नेता को पिता तुल्य तथा उनकी पत्नी को मातृवत मानते थे वे अब मौसी तुल्य उन्ही नेता की साली को पत्नी बनाना चाहते थे. एक तो विधायक व युवती का अलग-अलग धरम ऊपर से बेटा बन घर में सेंध लगाने का यह रवैया नेताजी को पसंद नहीं आया, लिहाजा कभी इन्हीं नेता के नाम का रुआब गांठने वाले विधायक को घर में इंट्री बंद हो गई है. अब आगामी चुनाव के मद्देनजर विधायक के टिकट पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इन दिनों कांग्रेसियों में बेटा बन नेता की साली पर लाइन मारने वाले इन विधायक महोदय की चरचा आम है.
5 comments:
sharyar shab blog ke liee bhadhi. vidhyak ji ka prem prasng achha hai.
shandar kosis hai. aapke is kosis me do kadam hum bhi sang chalenge... rajesh ranjan
जय हो शहरयार की
आप अगर लगातार इसी तेवर में परोसते रहेंगे तो जल्दी ही समाचार पत्र की बजाय रोज सुबह उठकर शहरनामा देखना पड़ेगा।
खैर, एक गुजारिश आपसे इसे कम्युनिटी ब्लॉग बनाइए और इसी प्रकार की कुछ खट्टी कुछ लज्जतदार सामग्री का आग्रह रखिए। यह केवल सुझाव है। पूर्णतया निजी। आपके ब्लॉग ने काफी सुकून दिया है।
एक गुजारिश और इसे दिल्ली और केन्द्रशासित राज्यों पर सीमित रखने के बजाय पूरे देश में फैलने दीजिए। हर कोई अपना सहयोग देगा। कुछ नाम से कुछ अनाम से भी।
नए ब्लॉग के लिए एक बार फिर बधाई
नोट: आप वर्ड वेरिफिकेशन हटा सकते हैं। इससे कमेंट करने वालों को सुविधा रहेगी। वर्ड वेरिफिकेशन का ऑप्शन सैटिंग में मिलेगा।
नमस्ते ब्रजेश,
बधाई.
और कैसे हो?
हारमोनियम बजाना सीखोगे?
सीख लो, कभी बेरोजगार नहीं रहोगे. भारत में रेल पथ विशाल है और यात्रियों के हृदय उससे भी विशाल और फिर ऊपर वाला तो है ही।
देखो पंचम के पापा, त्रिपुरा के राजकुमार सचिन देव वर्मन घर से हारमोनियम लेकर ही भागे थे और क्या हो गए।
dil da mamla he........
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