नेतागीरी भी ऐसा नशा है जो छुड़ाए न छूटे. हाल ही में कांग्रेस की एक नेताइन से शहरयार का भी पाला पड़ा. जो नेतागीरी चमकाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थीं. नेतागीरी के धंधे में उतरने से पहले वह बच्चों का चाल चरित्र सुधारने का काम करती थी. मतलब वो मास्टराइन थीं.
दिल्ली कैंट बोर्ड का हाल ही में चुनाव हुआ. चुनाव के पहले से वह टिकट के लिए तैयारी में जुट गईं. बड़े नेताओं ने भी उन्हें टिकट का वायदा कर दिया.(ऐसा नेताइन का दावा था).ऐन मौके पर जहां से नेताइन चुनाव लड़ना चाहती थी किसी और सुंदरी का टिकट पक्का हो गया. नेताइन को तो काटो तो खून नहीं. दिन रात पूरे इलाके में पसीना वह बहाती रहीं टिकट मिल गया किसी अनाम सी सुंदरी को. नेताइन ने बताया कि एक पूर्व पार्षद जो अपनी पत्नी को भी टिकट नहीं दिला पाए थे कैंट के चुनाव में अध्यछ जी के लटक बनकर खूब हेरफेर कराया. उन्होंने ही पहले महिला से दोस्ती गांठी फिर मेरा टिकट काटकर उस महिला को टिकट दिलवा दिया. लेकिन ऊपरवाले का करम तकनीकी कारणों से नव सुंदरी का परचा खारिज हो गया. बात में इन्हीं नेताइन को टिकट मिला किंतु वे चुनाव हार गईं. नेताइन के अनुसार उक्त पार्षद व उसकी चहेती महिला के कारण वह चुनाव हारी हैं. अब उन्हें बदला लेना है. जब शहरयार ने पूछा कि वह बदला कैसे लेंगी, तो नेताइन के कहा कि लोहे को लोहा काटता है. मैं भी अब त्रिया चरित्र का इस्तेमाल करुंगी. जब राजनीति में घुसने का रास्ता बेडरूम से होकर जाता है तो मैं भी बड़े नेताओं के बेडरुम में घुसने को तैयार हूं. अध्यछ जी सुन रहे हो इस महिला का किसी समर्थक से उद्धार कराओ.
1 comment:
बडे नेता तो टिकट दिला देंगे लेकिन वोट तो जनता देती है, और उनकी संख्या इतनी ज्यादा है की नेताइन की पोलिसी शायद काम न आए.
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