June 21, 2009

ठगी व जनसेवा वह करता था एक साथ!

हां माया होगी, वहीं ठग भी पाए जाएंगे। देश की राजधानी में लोग जितनी तेजी से समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं, उतनी तेजी से यहां ठग व दलालों का गिरोह भी फैल रहा है। पिछले दिनों एक महाठगी का मामला सामने आया तो पता चला कि यहां तो ऐसे न जाने कितने ठग और उनके शिकार हुए लोग हैं। जो लोग चुप थे, एक मामला सामने आते ही हल्ला मचाने लगे। पुलिस जो किसी न किसी रूप में इन ठगों को संरक्षण देती थी, अब वह भी कुछ करने को तत्पर दिखाई दे रही है। यह बात कोई दो साल पुरानी होगी जब नजफगढ़ तथा द्वारका इलाके से पांच छह लोग मुझसे मिलने आए थे। उन्होंने नजफगढ़ के तत्कालीन विधायक रणवीर खर्ब को अपना रिश्तेदार बताया था। उन्होंने बताया कि विधायक ने एक चिटफंड कंपनी खोली थी। इसमें उनका लाखों रुपया जमा कराया, लेकिन विधायक ने सारा पैसा गबन कर लिया है। पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि कोर्ट से भी विधायक के खिलाफ वे लोग कोई आदेश ले आए थे। रणवीर खर्ब से जब फोन पर पूछा गया कि आखिर फाइनेंस कंपनी में घपले का क्या मामला है, क्योंकि आपके कुछ रिश्तेदार ही आप पर ठगी का आरोप लगा रहे हैं? तो पहले उन्होंने फाइनेंस कंपनी से अपना संबंध होने से ही इनकार कर दिया। बाद में बोले कि भाई, जनता से जो पैसा लिया था, वह उन्हीं पर खर्च कर दिया। हमारे पास कुछ नहीं है। इलाके में पूछताछ करने पर पता चला कि रणवीर खर्ब काफी दानवीर किस्म का है। वह सालों से नजफगढ़ के लोगों को मुफ्त में पानी पिला रहा था। उसके पास अपने पानी के कई टैंकर हैं जो दिन-रात गांवों में लोगों को पीने का पानी पहुंचाते थे, वह भी मुफ्त। नजफगढ़ का ग्रामीण इलाका ऐसा है, जहां का भूजल इस लायक नहीं है कि उसे पिया जा सके। रणवीर खर्ब लोगों को अपने टैंकर से पानी पिलाकर काफी ख्याति अर्जित कर चुका था। इसी कारण लोगों ने उसे विधायक बना दिया। यह तो उसका बाहरी रूप था। अंदर वह फाइनेंस कंपनी खोलकर इलाके के किसानों खासकर, उन लोगों को जिन्हें जमीनों के मुआवजे के रूप में मोटी रकम मिली थी, ठगने का धंधा करता रहा। पानी वाला यह महाठग शायद उस समय यही कहना चाहता था कि जनता से लिया पैसा जनता को पानी पिलाने में खर्च कर दिया। जनता से लिए पैसे जब उसने नहीं लौटाए तो लोग पुलिस के पास पहुंचने लगे। ठगी के शिकार लोगों में तमाम ग्रामीणों के साथ ही खर्ब के अपने कई रिश्तेदार भी थे। सबने पंचायत व रिश्तेदारों से लेकर पुलिस व कोर्ट तक चक्कर लगा लिया, लेकिन उस समय ठग से विधायक बन चुके रणवीर के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भी है, लेकिन सच्चाई यह है कि वह भी केवल छोटे-मोटे मामलों तक ही खुद को सीमित रखती है। जब तक ऊपर से दबाव अथवा मीडिया में हंगामा न खड़ा हो, सफेदपोशों पर इस शाखा से कोई कार्रवाई नहीं होती है। इस पानी वाले महाठग का मामला तो आज सबके संज्ञान में है, लेकिन अन्य मामले भी किसी न किसी रूप में पुलिस के सामने पहले भी जरूर आए होंगे। लेकिन उन्हें दबाने व कार्रवाई की लंबी प्रक्रिया के बहाने सफेदपोशों को बचाने तक ही पुलिस सीमित रहती है। यदि एक मामले में पुलिस कार्रवाई कर दे तो कई अन्य छिपे मामले भी तत्काल सामने आ जाएंगे। संभव है, कुछ लोग इन महाठगों के जाल से बच जाएं।

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