June 28, 2009
माननीयों को 'दूध घी' पर जनता को नसीब नहीं पानी
देश के अन्य राज्यों की भांति अब राजधानी के जनप्रतिनिधि भी चल पड़े हैं। उन्हें भी जनता के बीच जाने से डर लगने लगा है। इसलिए अब उन्हें चाहिए परमानेंट पुलिस सुरक्षा। पुलिस सुरक्षा के साथ वे लालबत्ती लगी गाड़ी की भी मांग रखने लगे हैं। दिल्ली सरकार लैपटाप व उसे चलाने के लिए दस हजारी सहायक देने की घोषणा पहले ही कर चुकी है। इन दिनों राजधानी में लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे है लेकिन माननीय जनप्रतिनिधियों को उसकी चिंता नहीं है लेकिन उसी जनता के पैसों से वे अपने लिए सुविधाएं व आराम जुटाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। इस मामले में सत्ता व विपक्ष का भेद मिटाकर सभी माननीय विधायकगण एकजुट हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ विधायक राजधानी में जनता के बीच खुद को असुरक्षित मानते हुए कहते हैं कि भूमाफिया से विधायकों को डर क्योंकि वे विधायकों पर हमला कर सकते हैं। लेकिन सच सभी जानते हैं। ज्यादातर माननीयों के संरक्षण में ही ऐसे भूमाफिया फलफूल रहे हैं। हां दिल्ली में ला-आर्डर की सामान्यत: हालात ऐसी जरूर बनती जा रही है कि कहीं भी कभी भी किसी भी आम आदमी के साथ आपराधिक वारदात हो सकती है। ऐसे में सिर्फ माननीयों की सुरक्षा की बात कितनी बेमानी है। जनता के पैसों से दूध मलाई खाने की यह कोई पहला उदाहरण नहीं होगा। नगर निगम में माननीय पार्षदों के लैपटाप की कथा मीडिया में आए दिन छपती रही है। करोड़ों रुपये के लैपटाप खरीदकर पार्षदों को दे दिए गए तो वे भी लैपटाप चलाने के लिए सहायक मांगने लगे। अलबत्ता कई पार्षद तो डिजिटल वर्ड के लिहाज से निरक्षर थे लेकिन लैपटाप लेने तथा सहयोगी के नाम पर कुछ हजार रुपये महीने की मांग में वे सबसे आगे दिखाई देते थे। क्योंकि जनता के पैसे से मुफ्त की मलाई खाने में वे पीछे नहीं रहना चाहते हैं। अब यही वाकया विधानसभा में दुहराया जा रहा है। सत्तर विधायक तो सत्तर लैपटाप खरीदे जा रहे हैं। सभी माननीय विधायकों को दस-दस हजार रुपया नकद इस बात के लिए दिए जाने की तैयारी है कि वे इस पैसे एक ऐसा सहायक रखेंगे जो लैपटाप चला सके। अब इनसे कौन पूछे कि जो साहब लैपटाप चलाना ही नहीं जानते उन्हें लैपटाप पर क्या करना है यह कौन सिखाएगा। क्या भविष्य में वे इसके लिए अलग के एक सलाहकार भी मांगेगे? हां राजधानी के यह लैपटाप युक्त विधायक जनता के घरों में पानी व बिजली की आपूर्ति के लिए भी कुछ करते दिखाई देंगे। राजधानी में उद्योग धंधे चौपट हो रहे हैं। क्या फिर से उनके विकास के लिए यह कुछ कर सकेंगे। यह सवाल भी उठेगा मगर सरकारी सुरक्षा में लैपटाप मिलने के बाद। जाहिर है।
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